डिप्रेशन एक मेंटल डिस्ऑर्डर है। जिसे हम मानसिक बिमारी भी कहते हैं। हमारे समाज में डिप्रेशन को नेगेटिव तरीके से देखा जाता है। इसीलिए बहुत सारे लोग तो बता ही नहीं पाते है। जैसे हमारे शरीर में हर्ट किडनी की बिमारी होती है। उसी प्रकार ये एक दिमाग की बिमारी है। बाकी बीमारियों की तरह इसका इलाज भी संभव है। बस आपको सही टाइम पर इसको पहचाना आना चाहिए। और अगर आप सही टाइम पर इसका इलाज नहीं करते हो, तो आपको इसके बहुत सारे दुष्परिणाम देखने को मिल सकते है। ज़्यादातर लोग इसमें अपनी जान गंवा बैठते है।
आज के टाइम में डिप्रेशन एक बहुत ही गंभीर समस्या है। बताया जाता है कि प्रत्येक चार व्यक्ति में से एक व्यक्ति को जरूर होता है। डिप्रेशन केवल एक दिन में नहीं होता है। ये धीरे-धीरे बनता है। हमारे दैनिक जीवन में स्ट्रेस और तनाव आम बात है। दिनभर की भागदौड़ और ज्यादा काम करने से ये होता रहता है। जो नॉर्मल है। लेकिन जब यह लंबे टाइम तक रहता हैं। तो प्रॉब्लम होना स्टार्ट हो जाती है। डिप्रेशन मे भी शुरुआत में स्ट्रेस और तनाव होता है। और जब यह स्ट्रेस और तनाव लंबे टाइम तक रहता हैं। तो धीरे-धीरे डिप्रेशन का रूप ले लेता है। अगर शुरुआत में ही इसका इलाज कर दिया जाए। तो ये काफी सही रहता है।
डिप्रेशन आज ज्यादातर युवा लोगो में होता है। इसके बहुत सारे कारण हो सकते हैं। जैसे स्कूल में बच्चों पर ज्यादा नंबर लाने का और क्लास में नंबर वन आने का प्रेशर। बच्चों पर इतना ज्यादा प्रेशर होता है। कि नंबर कम आने पर बच्चे सुसाइड कर लेते हैं। और आज यह एक बहुत बड़ी प्रॉब्लम है। हर आए दिन कोई ना कोई बच्चा सुसाइड कर रहा है। जितनी भी ये कॉम्पिटिशन एग्जाम होती है। उनके रिज़ल्ट आने के बाद बहुत सारे बच्चे सुसाइड करते है। अभी तक ऐसा कोई भी समाधान नहीं निकाला गया है जिससे बच्चे सुसाइड ना करे। हालांकि बहुत सारी हॉस्टल्स मे पंखों को निकाला जा रहा है। लेकिन इससे कोई फायदा नहीं होने वाला है। यह कोई परमानेंट सोल्यूशन नहीं है। जब तक प्रॉब्लम को जड़ से खत्म नहीं किया जाता है। तब तक कुछ नहीं होने वाला है।
हर एक सुसाइड के पीछे हमारा समाज जिम्मेदार है। आजकल बच्चे अपनी रंगरूप के कारण भी सुसाइड कर रहे हैं। क्योंकि उसे हमारे समाज के द्वारा काफी बुरी तरह से बुली और प्रताड़ित किया जाता है। उसे महसूस कराया जाता है कि वो इस समाज में रहने के लायक नहीं है। और वो बाकी बच्चों के मुकाबले काफी कमजोर है। उनकी कमियों को बार-बार गिनाया जाता है। जिसकी वजह से उस बच्चे में इनफीरियॉरिटी कॉम्प्लेक्स हो जाता है। और ये ज्यादा टाइम तक रहने पर बच्चा डिप्रेशन में आ जाता है। और फिर उसके पास एक ही उपाय बचता है। जिसके बाद वो सुसाइड कर लेता है।
वैसे तो डिप्रेशन होने के बहुत सारे कारण होते हैं। लेकिन ज्यादातर दो ही कारणों से डिप्रेशन होता है।
1.हार्मोन इंबैलेंस:-
हमारे शरीर में हार्मोन इंबैलेंस होने के कारण भी हमें डिप्रेशन हो सकता है। हमारे शरीर मैं कई प्रकार के हार्मोन रिलीज होते है। और जब ये हार्मोन रिलीज नहीं होते हैं या फिर इनमें इंबैलेंस हो जाता है। तो फिर प्रॉब्लम हो जाती है। जैसे हमारे शरीर में खुशी महसूस होने के लिए डोपामाइन, सेरोटोनिन, ऑक्सीटोसिन और एंडोर्फिंस हार्मोन है। पर जब ये धीरे-धीरे रिलीज होना बंद हो जाते हैं। तो हमें डिप्रेशन हो सकता है। अगर ये लंबे टाइम से चल रहा है। तो यह एक सीरियस प्रॉब्लम हो सकती है। इसे मेडिकली तरीके से सही किया जा सकता है। इसीलिए जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
2.लाइफ प्रॉब्लम्स:-
हर इंसान को जीवन में कोई ना कोई प्रॉब्लम जरूर होती है। इसमें कुछ लोग टूट जाते और कुछ लोग बहुत ज्यादा मजबूत हो जाते। और इन दोनों ही व्यक्तियों में फर्क सिर्फ सोचने का है। क्योंकि सिचुएशन को हम किस प्रकार से देख रहे हैं और किस प्रकार से सोच रहे, वो वैसी ही होती है। अगर हम मान कर चलते है। कि जब तक हम जीवित है। तब तक प्रॉब्लम आती रहेंगी। और एक वक्त के बाद सब कुछ सही हो जाएगा। अगर हम ये बात दिमाग में बैठा लें। तो हम बहुत जल्द बड़े से बड़े Loss से रिकवर कर सकते हैं। इसके लिए हम लाइफ कोच या फिर मनोचिकित्सक से भी सलाह ले सकते हैं। जिसमे वो माइंड ट्रेनिंग करते है। जिससे आपका सोचने का तरीका चेंज हो जाएगा। और हर एक प्रॉब्लम को देखने का नजरिया भी चेंज हो जाएगा।
डिप्रेशन के कारण
●हॉर्मोन्स का इंबैलेंस होना।
●परिवार में किसी की डेथ हो जाना।
●परिवार में लंबे टाइम से चल रहे क्लेश के कारण
●बिज़नेस में बहुत बड़ा लॉस होने पर।
●एग्जाम में फेल होना।
●समाज के द्वारा बुली और प्रताड़ित किए जाने पर।
●अपने पार्टनर से ब्रेकअप होने पर।
●फाइनेंशियल स्थिति खराब होने पर।
डिप्रेशन के लक्षण
●बहुत ज्यादा खालीपन, उदासी और अशांति का महसूस होना।
●सुसाइडल थॉट्स का लगातार आना।
●वजन का अचानक बढ जाना या बहुत कम हो जाना।
● ज्यादा नींद का आना या फिर बहुत कम नींद आना।
●पूरे दिन बेड पर रहना या कमरे में रहना।
●भूख कम लगना।
●बहुत ज्यादा चिंता, बेचैनी और सिरदर्द होना।
●बहुत कमजोर महसूस करना।
●स्वयं को तुच्छ समझना या फिर खुद से ही नफरत करना।
●किसी भी पारिवारिक प्रोग्राम में न जाने का मन।
डिप्रेशन का इलाज
●सबसे पहले डिप्रेशन को पहचानना।
●पहचानने के बाद उस हिसाब से थेरेपी लेना।
●हर दिन एक्सरसाइज करें।
●सुुबह पहले धूप लेना और बाहर घूमना।
●अकेला होने से बचें।
●जब भी कोई बुरा ख्याल आए, तो उसे अपने परिवार के साथ शेयर करें।
●अपनी डेली लाइफ में कुछ नया चेंज लाए।
●अपने सोचने के तरीके को चेंज करे और ज्यादातर पॉज़िटिव सोचे।
●किसी भी लाइफ कोच या मनोचिकित्सा से सहायता ले सकते हो।
अगर आपको बहुत लंबे टाइम से डिप्रेशन है। तो इसे हल्के में ना लें। ये एक गंभीर समस्याएं है। जिसका इलाज जल्द से जल्द किया जाना चाहिए। आज डिप्रेशन की वजह से बहुत सारे सुसाइड्स देखने को मिल रहे हैं। अगर उन सब व्यक्तियों को सही टाइम पर किसी की सहायता मिल जाती, तो वो सुसाइड नहीं करते। गंभीर डिप्रेशन में ज्यादातर सुसाइडल थॉट्स आते है। और अगर यही सुसाइडल थॉट्स लंबे टाइम तक बने रहे, तो फिर इसका परिणाम बुरा हो सकता है। जैसे अगर हमारे शरीर पर चोट लगती है। तो हम उसका इलाज करवातें है। तो उसी प्रकार इसका भी इलाज कराना बहुत ज्यादा जरूरी है। एक अच्छा जीवन जीने के लिए जितनी ज्यादा फिजिकल हेल्थ जरूरी है, उतनी ही ज्यादा मेंटल हेल्थ भी जरूरी है। इसलिए अपनी मेंटल हेल्थ पर रोजाना काम करना चाहिए।
अगर आपको लंबे टाइम से डिप्रेशन है या फिर सुसाइडल थॉट्स लगातार आ रहे हैं। तो आपको जल्द से जल्द डॉक्टर को दिखाना चाहिए।